Saturday, October 1, 2011

TAJ Mahal

ताजमहल प्रारम्भ से ही बेगम मुमताज का मकबरा न होकर,एक हिंदू प्राचीन शिव मन्दिर है जिसे तब तेजो महालय कहा जाता था.

अपने अनुसंधान के दौरान इतिहासकर और पुरातत्ववेदा पुरुषोत्तम ओक ने खोजा कि इस शिव मन्दिर को शाहजहाँ ने जयपुर के महाराज जयसिंह से अवैध तरीके से छीन लिया था और इस पर अपना कब्ज़ा कर लिया था

हमें यह कहानी क्यों बताई जाती है की ताजमहल बनाने वालो के हाथ काट लिए गए थे..इसकी असलियत क्या है...कोई भी राजदारों को जिन्दा रखने का जोखिम नहीं उठाता है.. उनके हाथ नहीं काटे उन्हे मौत के घाट उतारा गया था

और जैसा की हमारे इतिहास मे इस्लामिक अत्याचारो का 1% ही बताने की सेकुलर परंपरा रही है यह भी बात छिपाई गई

ताजमहल की हकीकत कौन बताएगा? आजादी के बाद कांग्रेस, उससे पहले अंग्रेज, उससे पहले मुग़ल क्या यह लोग हिन्दुओ को हकीकत बताते..???
एक बात जो तय है वह है- ताजमहल को जिस तरह बनाया गया है वह शाहजहा के ज़माने में निश्चित रूप से इसका निर्माण नहीं हुआ है,
पहले से मौजूद किसी ढांचे में कारीगरों को बुलाकर उसमे सतही फेर बदल करके उसे मजार बना दी गयी है और और भेद न खुल जाये, इसमे शामिल सभी कर्मियों की हत्या करा दी गयी और तथा कथित हाथ काटने की कहानी इसी का विस्तार है. पूरे विश्व में ऐसी झूठी कहानी की एक भी मिशाल नहीं मिलती है कारीगरों के ही हाथ काट लिए जाये...
पुरे विश्व में किस्से भी मजार पर पानी नहीं टपकता है, यह सिर्फ हिन्दुओ के शिव मंदिर में ही होता है.
शाहजहाँ को मरे ज्यादा दिन नहीं हुए है और इस ताजमहल की कोई लिखित लेख जोखा नहीं है की यह शाहजहाँ ने बनवाया था.
जिस ढांचे में दुनिया भर के बेशकीमती पत्थर लगे हो, उसके तहखानो में कच्ची जुड़ाई से दीवारे खिड़किया क्यों बंद की गयी है, जैसे की यह बिना किसी योजना के जल्दीबाजी में किया गया हो.
इस जगह पर अंग्रेजो के अलावा किसी को जाने नहीं दिया गया, खासकर हिन्दू पुरातत्व विशेषज्ञों को.
भारत में पराने ज़माने से ही हिन्दू मदिरो को बड़ी सटीकता और फुर्सत से बनाने का रिवाज़ रहा है, ताजमहल के अलावा हर मुग़ल ढांचा सिर्फ लाल पत्थरो से ही बना हुआ क्यों है और निश्चित रूप से इसे यदि शाजहाँ के ज़माने में नहीं बनाया गया तो इस भव्य मंदिरनुमा ढांचे को किसने बनाया था, यह बहुत ही गूढ़ प्रश्न है और इसका उत्तर इतना आसान नहीं है जितना की टीवी और मिडिया में दिखाया जाता है.
हमारे सत्ताधारियो में नेहरू, इंदिरा, राजीव,सोनिया आदि सभी कभी हिन्दू नहीं रहे, और बाकि के सभी लोग इनके प्रभाव में रहे, इसलिए हमें वास्तविकता का पता नहीं लग पाया है

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